राम समझ आ जाए तो…

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राम समझ आ जाए तो

कितनी दिक्कत होगी पता है ,राम समझ आ जाए तो…

हाथ काट कर रख दूंगा ये नाम समझ आ जाए तोl

रामराम तो कह लोगे पर राम सा दुख भी सहना होगा,

पहली चुनौती यह होगी कि मर्यादा में रहना होगा,

और मर्यादा में रहना मतलब कुछ खास नही कर जाना है,

बस त्याग को बस में रखना है और अहंकार जलाना है।

अब अपने राम लला के खातिर इतना न कर पाओगे,

अरे सबरी का जूठा खाओगे तो पुरुषोत्तम कहलाओगे।

काम,क्रोध के भीतर रहकर तुमको शीतल बनना होगा,

बुद्ध भी जिसकी छाव में बैठे ऐसा पीपल बना ना होगाl

बन ना होगा ये सब कुछ और वो भी शून्य में रहकर प्यारे..

तब ही तुमको पता चलेगा इतने अदभुद राम हमारे।

पता है तुमको क्या है राम ? की ,बस हाथ धनुष तरकश में बाण

या फिर वन में जिसने किया गुजारा,या फिर कैसे रावण माराl

या फिर लक्ष्मण जिनके भैया,जिनकी पत्नी सीता मैय्या ,

फिर ये तो हो गई वही कहानी एक था राजा एक थी रानी l

क्या सच में तुमको राम पता है ? की वो भी तुमको हम बताएं,

बड़े दिनों से हूं यहां पर,सब कुछ देख रहा हूं कब से,

प्रभु से मिलने आया था मैं,उनको छोड़ मिला हूं सबसे।

बात कहूं गर बुरा न मानो,तुम तुरंत ही क्रोधित हो जाते हो,

पूरी बात तो सुनते ही नहीं ,सीधे घर में आ जाते हो।

की तुम लोगों के नाम जपो में ,पहला सा आराम नही,

इस जबरदस्ती के “जय श्री राम ” में सब कुछ है बस “राम” नही

ये राजनीति का दायां बायां जितनी मर्जी खेलो तुम,

चेतावनी को लेकिन मेरी अपनी जहन में लेलो तुम।

निजी स्वार्थ के कारण कोई अगर राम नाम को गाता हो,

तो खबरदार गर जूर रत की और मेरे राम को बाटा तोl

भारत भू का कवि हूं मैं ,तभी निडर होकर कहता हूं

राम है मेरी हर रचना में मैं बजरंग में रहता हूं।

भारत को नीव है कविताएं और सत्य हमारी बातों में,

तभी कलम हमारी तीखी है और साहित्य हमारे हाथों में।

तो सोच समझ कर राम कहो तुम,ये बस आतिश का नारा नही,

जब तक राम हृदय में नहीं तुमने “राम” पुकारा नही।

साभार–Abhi Munde (instagram post)

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